आरएसएस के स्कूलों में दो साल में 7 फीसदी बढ़ी मुस्लिम छात्रों की संख्या
भोपाल। नागरिक संशोधन कानून को लेकर देश में दो समुदायों को बांटने की राजनीति के बीच यह खबर सुखद अहसास कराने वाली है कि जिस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को कई नेता कट्टरवादी संगठन करार देते हैं, उसके द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आरएसएस के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती के आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो सालों में मप्र में चल रहे सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या करीब 7 फीसदी बढ़ी है।
इन स्कूलों में ये मुस्लिम छात्र न सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं, बल्कि रोज वंदे मातरम भी गाते हैं और सभी बच्चों के साथ भोजन से पहले प्रार्थना भी करते हैं। विद्या भारती के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में मप्र के सरस्वती शिशु मंदिर में मुस्लिम छात्रों की संख्या 9168 थी, जो 2019-20 में बढ़कर 9804 हो गई है। हालांकि 2018-19 में छात्रों की संख्या मामूली गिरावट के साथ 9152 हो गई थी। इन स्कूलों में पढ़ रहे कई मुस्लिम छात्रों ने खेलकूद प्रतियोगिता व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में पुरस्कार भी जीता है। ग्वालियर जिले के भितरवार में रिहान खान ने पिछले दिनों वंदे मातरम प्रतियोगिता में प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया था। विद्या भारती के पदाधिकारियों के मुताबिक सरस्वती शिशु मंदिर में ईसाई समुदाय के छात्र और शिक्षक भी हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है।
मालवा-मध्यभारत प्रांत में घटी संख्या
आरएसएस ने कार्य विभाजन के लिए मप्र को तीन प्रांत में बांटा है। इसमें मालवा, मध्य भारत प्रांत और महाकौशल शामिल हैं। दो सालों में मालवा और मध्यभारत प्रांत में मुस्लिम छात्रों की संख्या घटी है, लेकिन महाकौशल प्रांत में इनकी संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
अभिभावकों का सीएए पर रुख साफ
राजगढ़ जिले के सारंगपुर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में 8वीं कक्षा में पढ़ रही अशफिया मिर्जा के पिता रियाज बेग मिर्जा का नागरिक संशोधन कानून पर रुख साफ है। कानून को लेकर मिर्जा का कहना है कि सरकारें सोच-समझकर कानून लाती हैं। एक प्रतिशत लोग यदि इसे खराब कह रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि कानून खराब हो गया।
दतिया जिले के भांडेर में रहने वाले जमा मंसूरी कहते हैं कि नागरिक संशोधन कानून हिंदुस्तान की बेहतरी के लिए लाया गया है, इसलिए इसका समर्थन करना चाहिए। जहां तक मुस्लिम होने के बावजूद सरस्वती शिशु मंदिर में एडमिशन कराने का सवाल है तो हमने यहां अच्छी पढ़ाई की वजह से अपने बच्चे को दाखिल कराया है।
नंबर गेम
2900 सरस्वती शिशु मंदिर हैं मप्र में
100 मुस्लिम शिक्षक भी पढ़ाते हैं स्कूलों में
2 सालों में 8 प्रतिशत बढ़ी मुस्लिम छात्रों की संख्या
टेबल
प्रांत--2017-18--2019-20
मध्यभारत--1803--17622
मालवा--3304--2648
महाकौशल--4061--5394
कुल--9168--9804
सरस्वती शिशु मंदिर में किसी धर्म विशेष की शिक्षा नहीं दी जाती। यहां छात्रों के समग्र विकास के लिए काम किया जाता है, इसलिए अन्य धर्मों के लोग भी अपने बच्चों को यहां पढ़ाते हैं।
हितानंद शर्मा, मध्यभारत प्रांत संगठन मंत्री, विद्या भारती