आदिवासियों का उल्लास पर्व भगोरिया आज से शुरू, 700 साल पुराना भगोरिया; कपड़े बदले शृंगार वही

झाबुआ / आदिवासियों का उल्लास पर्व भगोरिया 3 मार्च से शुरू होगा। इस समाज ने अपनी परंपराओं को किस तरह से सहेजकर रखा है और वो कैसे इन्हें निभाता आ रहा है, ये समझने के लिए हमने लगभग 40 साल पुराने और बीते सालों के फोटो इकट्‌ठे किए। एक-एक पुराना फोटो भगोरिया में आए महिला और पुरुष का है और एक-एक फोटो नया है।


समझ ये आया कि आधुनिकता का असर होने के बावजूद वो कोशिश यही करते हैं कि कम से कम भगोरिया में वो ठेठ सौंदर्य और परंपरा का उदाहरण बने रहे। पुराने फोटो शहर के ख्यात फोटोग्राफर रहे स्वर्गीय आनंदीलाल पारीक के खींचे हुए हैं। ये लगभग 40 साल पुराने हैं। फोटो शानदार हैं। इसे ऐसे भी समझें कि ये तब के फोटो हैं, जब फोटोशॉप या आधुनिक कैमरे नहीं थे। कलर फोटो का चलन शुरू नहीं हुआ था। क्लिक करते समय ही फ्रेम, लाइट सब देखना पड़ता था। एडजस्ट कुछ नहीं होता था।


झाबुआ : कलमोड़ा में एक दिन पहले ही मना भगोरिया


जिले के पारा के पास कलमोड़ा गांव में भगोरिया की शुरुआत के एक दिन पहले ही भगोरिया का मेला लग गया। यहां हाट बाजार सोमवार को होता है। ऐसे में उनके यहां आखिरी दिन 9 तारीख को भगोरिया होता। गांव वालों ने तय किया कि उस दिन होली की दूसरी परंपराएं निभाई जाती है और गल घूमने का पर्व भी होता है। इसलिए इस बार पहले से मेला लग गया।