बागी विधायकों में 3 दिग्विजय सिंह के करीबी, 2 मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज, 1 सिंधिया खेमे के

भोपाल। मध्य प्रदेश के इतिहास के सबसे बड़े सियासी ड्रामें में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार मुश्किल में है। भाजपा का दावा है कि कांग्रेस के 15 से 20 विधायक उनके संपर्क में है। फिलहाल जिन छह विधायकों के नाम सामने आए हैं उनमें तीन कांग्रेस और दो बसपा एक निर्दलीय विधायक शामिल है। इनमें से तीन विधायक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के करीबी हैं, बाकी के दो विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ की वादा खिलाफी से नाराज बताए जा रहे हैं। और एक विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। 


कांग्रेस या उसको समर्थन दे रहे कुल 8 विधायकों के बागी होने की सूचना है। चार विधायक हरियाणा और चार विधायक बेंगुलरू में हैं। बसपा विधायक रामबाई के वापस भोपाल आने की खबर है। लेकिन वे अभी नजर नहीं आई हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कमलनाथ सरकार के कुल 14 विधायक नाराज चल रहे हैं, जिन पर भाजपा की नजर है। खबर ये भी है कि बागी विधायकों से मुख्यमंत्री कमलनाथ तक संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। 


विधायकों पर आईबी और लोकल इंटेलीजेंस की नजर


मध्य प्रदेश में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आने के बाद आईबी और लोकल इंटेलीजेंस की टीम भी सक्रिय हो गई है, विधायकों पर नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी को अपने क्षेत्र के विधायकों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। एडीजी इंटेलिजेंस एसडब्ल्यू नकवी लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।


रामबाई (बसपा), पथरिया
बसपा विधायक रामबाई प्रदेश में सरकार बनने के बाद से ही किसी न किसी मौके  पर अपने बयानों से सरकार के लिए परेशानी खड़ी करती रही हैं। पति पर हत्या का मामला दर्ज होने के बाद उनके सुर बदले और वे मुख्यमंत्री कमलनाथ की तारीफ करने लगी। मुख्यमंत्री ने रामबाई को भी मंत्री बनाने का दावा किया था। लेकिन एक साल भी मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद रामबाई ने बगाबती तेवर अपना लिए। 


बिसाहूलाल (कांग्रेस), अनूपपुर
दिग्विजय सिंह के गुट के वरिष्ठ विधायक हैं। चार बार लगातार जीतकर आए हैं।  लेकिन मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं, जबकि उनसे कनिष्ठ विधायकों को मंत्री बनाया गया है। बिसाहूलाल मुख्यमंत्री कमलनाथ की कार्यशैली से भी नाराज हैं। 


हरदीप सिंह (कांग्रेस), सुवासरा
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दोनों के करीबी हैं। पार्टी में संतुलन के लिए मुख्यमंत्री ने हरदीप सिंह से भी मंत्री बनाए जाने का वादा किया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने वादा पूरा नहीं किया। 


सुरेंद्र सिंह शेरा (निर्दलीय), बुरहानपुर
मुश्किल दौर में मुख्यमंत्री का साथ दिया। कई मौकों पर मंत्री बनाए जाने की मांग कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में पत्नी के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा, नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ाया। कांग्रेस का प्रदेश अध्यश्र भी बनना चाहते थे। कुछ दिन पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग का समर्थन किया था। 


संजीव कुशवाह (बसपा), भिंड
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के करीबी हैं। मंत्री बनना चाहते थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज चल रहे हैं।


ऐंदल सिंह कंसाना (कांग्रेस), सुमावली


दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी। जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे तब उनके मंत्री मंडल में पॉवरफुल मंत्री माने जाते थे। कई मौकों पर मंत्री नहीं बनाए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।


पंचायत मंत्री बोले- कई भाजपा विधायक कांग्रेस के संपर्क में


पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि भाजपा कई विधायक कांग्रेस के संपर्क में है। उन्होंने साफ कहा है कि सरकार गिराने का सपना देख रही भाजपा को शायद पता नहीं उसके विधायक खुद ही कांग्रेस के संपर्क में हैं। जब भाजपा अपना घर ही नहीं बचा पा रही तो सरकार गिराने की तो दूर की कौड़ी है। हम आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी को सरकार गिरने का कोई खतरा ही नहीं है, लेकिन यह जरूर है कि तकरीबन आधा दर्जन से अधिक विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। मंत्री पटेल ने कहा कि सरकार गिराने की बात करने वाली भाजपा अपने किले को बचाने में नाकाम है, जरूरत पड़ी तो फ्लोर टेस्ट में हम 135 का आंकड़ा भी पार कर सकते हैं।