बिजली व कर्जमाफी से बिगड़ रहा बजट का संतुलन

 बिजली व कर्जमाफी से बिगड़ रहा बजट का संतुलन


भोपाल। सौ रुपए में सौ यूनिट बिजली की इंदिरा गृह ज्योति योजना और जय जवान फसल ऋणमाफी योजना के भारी-भरकम खर्च के कारण मध्यप्रदेश सरकार का बजट संतुलन बिगड़ रहा है। विधानसभा में इसी महीने पेश होने वाले 2020-21 के बजट की तैयारी के लिए जारी कवायद में ये तथ्य सामने आया कि बिजली सब्सिडी पर कुल 18 हजार करोड़ रुपये का बोझ सरकार को वहन करना है। वहीं कर्जमाफी के लिए भी छह से आठ हजार करोड़ रुपये का बजट रखने की संभावना है। इधर, केंद्र सरकार द्वारा करों के हिस्से में 14 हजार 233 करोड़ रुपये की कटौती करने और प्रदेश के राजस्व में लगभग साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये कम एकत्र होने के अनुमान ने प्रदेश के बजटीय संतुलन को और भी बिगाड़ दिया है।


बजट के इस असंतुलन के कारण आने वाले वर्ष में कई विकास योजनाएं प्रभावित होने की भी आशंका है। कमलनाथ सरकार के लिए दूसरे बजट में कांग्रेस के वचन पत्र के वादे, विकास योजनाएं और स्थापना व्यय के बीच संतुलन बना पाना बेहद मुश्किल हो रहा है। बजट के आकार में कम से कम 15 फीसदी की कमी होने की संभावना के कारण सरकार को हर मद में कटौती करना पड़ रही है। सामाजिक योजनाओं में प्राथमिकता बदलने के कारण सरकार पूर्ववर्ती शिवराज सरकार की कई योजनाओं पर कैंची चला रही है।


 

आमदनी और खर्च के संतुलन से इन मदों में पड़ रही बड़ी मार


केंद्रीय सहायता अनुदान में कमी : इस मद में केंद्र सरकार से 36,190 करोड़ रुपए मिलना थे, लेकिन अब तक 27 हजार करोड़ रुपए ही मिल पाए हैं। इसमें भी राज्य को नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है।


तीर्थदर्शन योजना : शिवराज सरकार में तीर्थदर्शन योजना का बजट 250 करोड़ रुपये से ज्यादा हुआ करता था, लेकिन अब यह नाममात्र रहने की संभावना है। मौजूदा वर्ष में 30 करोड़ करोड़ रुपये खर्च किया गया था।


मेधावी छात्र योजना : भाजपा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में 15 सौ करोड़ रुपये का बजट हुआ करता था, लेकिन आने वाले बजट में इस मद में बड़ी कटौती की जाएगी।


लाड़ली में नहीं होगी कटौती : राज्य सरकार कन्यादान और लाड़ली लक्ष्मी जैसी सामाजिक योजनाओं में कटौती नहीं करने के मूड में है। लाड़ली लक्ष्मी योजना पर लगभग एक हजार करोड़ रुपए का खर्च आता है। सरकार ने इसे कम करने की काफी मशक्कत की, लेकिन बजट की राशि में कमी नहीं हो पाई।


कन्यादान योजना के 150 करोड़ का बकाया : कन्यादान योजना में अब तक 29 हजार 800 शादियों का पैसा देना बाकी है,जो लगभग 150 करोड़ रुपये करीब। आने वाले साल में इस योजना में 510 करोड़ रुपए की मांग की गई है पर इतना मिलने की उम्मीद कम ही है। कन्यादान योजना में सरकार ने पिछले बजट में 255 करोड़ रुपए स्वीकृत किया था पर मात्र 150 करोड़ रुपए करोड़ मिल पाए।


बजट ही बढ़ा-चढ़ाकर बनाया था : राघवजी


मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी भाई ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने पहले ही बजट बढ़ा-चढ़ाकर बनाया था, इसलिए सारी दिक्कतें आ रही है। जितनी आमदनी की उम्मीद नहीं थी, उससे ज्यादा आकलन कर लिया था। केंद्रीय करों में कम हिस्सेदारी मिलने की बात को पूर्व वित्तमंत्री गलत मानते हैं। राघवजी ने कहा कि जब केंद्र का कर राजस्व घटा है तो राज्यों को भी कम मिलेगा। केंद्रीय अनुदान में कमी के आरोप को खारिज करते हुए कहते हैं कि केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी 28 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी कर दी गई है, इसलिए केंद्रीय अनुदान धीरे-धीरे कम होगा।


सरकार की हालत बेहद खस्ता : मलैया पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया ने कहा कि कमलनाथ सरकार का वित्त प्रबंधन ठीक नहीं है। सरकार की माली हालत बिगड़ गई है। कर्मचारियों को डीए की किस्त पिछले सात महीने से नहीं दे पा रहे हैं। नगर निगम और अन्य संस्थाओं की हालत ऐसी है कि पहले 15 दिन रकम जुटाते हैं, फिर तन्खा बांटते हैं। खस्ता हालत के बावजूद ये सरकार आईफा अवार्ड जैसे ग्लैमर पर खर्चा कर रही है। किसान संतुष्ट भी नहीं हुआ और कर्जमाफी व बिजली सब्सिडी ने खजाने की हालत और बिगाड़ दी है। केंद्र को समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने से मदद में कमी आई है।