चैत्र नवरात्र में चार सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग

चैत्र नवरात्र में चार सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग


भोपाल। हिंदू नववर्ष के चैत्र नवरात्र 25 मार्च से शुरू होंगे, जिनका दो अप्रैल को समापन होगा। ज्योतिषियों के अनुसार नवरात्र में चार सर्वार्थ सिद्धि और रवि बन रहे हैं। यह नवरात्र विशेष ग्रह योगों के कारण साधकों की मनोकामना पूरी करने में सहायक होंगे। चामुंडा दरबार के पुजारी पंडित रामजीवन दुबे व ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि नवरात्र में इस बार चार सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग होने से माता के भक्तों के लिए लाभकारी रहेगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत हिंदू पंचांग का पहला दिन है। इसी दिन से कालगणना प्रारंभ हुई थी। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन सूर्य की पहली किरण पृथ्वी पर फैली थी। 9 ग्रह, 27 नक्षत्र और 12 राशियों का उदय और भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार भी हुआ था।


 

प्रतिपदा तिथि 24 मार्च मंगलवार दोपहर 2.58 बजे शुरू होगी और बुधवार शाम 5.26 बजे तक रहेगी। इस दिन ब्रह्म योग, रेवती नक्षत्र, करण वालब, राशि मीन और राशि स्वामी गुरु है। 25 मार्च को घट स्थापना सुबह 6.25 से 9.30 तक। सुबह 11 से दोपहर 12.32 तक। घट स्थापना करने से मान पद प्रतिष्ठा, ऐश्वर्या में वृद्धि होने की मान्यता है।


अमृत सिद्धि और रवि योग


अमृत सिद्धि योग अपने नामानुसार शुभ योग है। इस योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह योग और नक्षत्र के तालमेल से बनता है। इस योग के बीच अगर तिथियों का अशुभ मेल हो जाता है तो अमृत योग नष्ट होकर विष योग में परिवर्तित हो जाता है। सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र होने पर जहां शुभ योग से शुभ मुहूर्त बनता है, लेकिन इस दिन षष्ठी तिथि भी हो तो विष योग बनता है। रवि पुष्य योग का निर्माण तब होता है जब रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है। यह योग शुभ मुहूर्त का निर्माण करता है। इसमें सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस योग को मुहूर्त में गुरु पुष्य योग के समान ही महत्व दिया गया है।


 

किस दिन कौन सा योग


25 मार्च-गुड़ी पड़वा बसंती नवरात्र शुरू


26 मार्च- सर्वार्थ सिद्धि योग


27 मार्च- सर्वार्थ सिद्धि योग


28 मार्च- तिथि चतुर्थी


29 मार्च- रवि योग


30 मार्च- सर्वार्थसिद्धि व अमृत योग


31 मार्च- सप्तमी तिथि


1 अप्रैल- अष्टमी तिथि


2 अप्रैल- रामनवमी, सर्वार्थ सिद्धि योग