सत्ता की उठापटक से ब्यूरोक्रेसी में हलचल

सत्ता की उठापटक से ब्यूरोक्रेसी में हलचल


भोपाल । सत्ता को लेकर पिछले दो दिन से चल रही सियासी उठापटक ने प्रदेश की राजनीतिक के साथ-साथ प्रशासनिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। बुधवार को दिनभर मंत्रालय में अधिकारी हों या कर्मचारी, सभी की चर्चा का केंद्र बिंदु सियासी घटनाक्रम और विधायकों का संख्या बल रहा। अधिकारी यह गुणाभाग लगाते रहे कि सरकार को अस्थिर करने के लिए विपक्षी दल भाजपा को कितने विधायकों की दरकार होगी और बिना कांग्रेस में सेंध लगाए, क्या यह संभव है। उधर, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रालय में दो-तीन बैठकें कर यह जताया कि सबकुछ नियंत्रण में है और सरकार पर कहीं कोई संकट नहीं है।


चर्चा का बाजार गर्म रहा


मंगलवार रात से चल रहे घटनाक्रम को लेकर मंत्रालय में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव स्तर के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों के बीच दिनभर चर्चा का बाजार गर्म रहा। वरिष्ठ अधिकारी ताजा जानकारी लेने के लिए टीवी देखते रहे तो अन्य अधिकारियों से फीडबैक भी लिया जाता रहा।


 

सचिवों ने की आधा घंटा चर्चा


चौथे माले पर बैठने वाले एक अपर मुख्य सचिव के कक्ष में तीन-चार प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों ने इस मामले पर लगभग आधा घंटे तक चर्चा की। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव कार्यालय में भी अधिकारियों-कर्मचारियों के बीच चर्चा का केंद्र बिंदु सियासी घटनाक्रम ही रहा।


मुख्यमंत्री के नजदीकी माने जाने वाले एक प्रमुख सचिव का कहना है कि एकमात्र निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को छोड़ दिया जाए तो बाकी मुख्यमंत्री कमलनाथ में अपना भरोसा जता रहे हैं। ऐसे में जब तक कांग्रेस के खेमे में सेंध लगाने में सफल नहीं हो जाती, तब तक भाजपा का काम नहीं बनेगा।


 

11 बजे मंत्रालय पहुंचे कमलनाथ


उधर, मुख्यमंत्री कमलनाथ सियासी घटनाक्रम के बीच सुबह लगभग 11 बजे मंत्रालय पहुंचे और उद्यानिकी के साथ उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इनमें शामिल अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री के चेहरे पर किसी तरह का कोई तनाव नहीं था। वे पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे थे और बैठक में उन्होंने निर्देश भी दिए।